फसल बीमा में हुई देरी तो मिलेगा 12 प्रतिशत ब्याज
अभी तक 14 करोड़ 28 लाख किसानों के 602 लाख हेक्टेयर क्षेत्र हैं बीमित
नई दिल्ली – केंद्र सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा कदम उठाते हुए फसलों के नुकसान का सटीक आकलन करने के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीक को अनिवार्य कर दिया है। अब प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़, सुखाड़ या अन्य मौसमी घटनाओं से फसलों को हुए नुकसान का आकलन उपग्रह आधारित प्रणाली के माध्यम से किया जाएगा।
अभी तक फसलों की कटाई के दौरान स्थल निरीक्षण कर नुकसान का आकलन होता था। किंतु अब केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि क्षति का आकलन उपग्रह आधारित प्रणाली से किया जाएगा। इसी रबी फसल से कुल क्षति का कम से कम 30 प्रतिशत का आकलन रिमोट सेंसिंग के जरिये करना अनिवार्य कर दिया गया है। रिमोट सेंसिंग ऐसी तकनीक है, जिसमें किसी वस्तु के बारे में जानकारी लेने के लिए साइट विजिट की जरूरत नहीं होती है।
उपग्रह के माध्यम से वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल जाती है। हाल में ही केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को वित्तीय वर्ष 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दी है। इसके लिए कुल 69 हजार 515.71 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। फसलों के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी।
इसके तहत अभी तक कुल 14 करोड़ 28 लाख किसानों ने आवेदन किया है, जिनके 602 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को बीमित किया गया है। कुल बीमित राशि दो लाख 73 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। अभी तक चार करोड़ से अधिक किसानों को एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक के दावों का भुगतान किया जा चुका है। फसल बीमा योजना केंद्र एवं राज्य सरकारें मिलकर संचालित करती हैं।
किंतु कई राज्यों से बीमा भुगतान के दावों के समाधान में देरी की शिकायतें आ रही थी। कारण कई थे। कुछ राज्य अपने हिस्से का प्रीमियम अनुदान देने में देर कर रहे थे। उपज का ब्योरा देने में भी गड़बड़ी देखी जा रही थी।
बीमा कंपनियां एवं राज्यों के बीच मतभेद, पात्र किसानों के खातों में क्षतिपूर्ति राशि भेजने के लिए खाता विवरण नहीं मिलना, राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर व्यक्तिगत रूप से किसानों के आंकड़ों की गलत या अपूर्ण प्रविष्टि, किसानों का प्रीमियम भेजने में देरी के साथ-साथ संबंधित बीमा कंपनी को किसानों के प्रीमियम का हिस्सा नहीं भेजने आदि कारणों से किसानों को भुगतान में देरी हो रही थी। केंद्र ने इसका संज्ञान लिया और अपना प्रीमियम राज्यों से अलग कर लिया, ताकि बीमा राशि समय पर जारी की जा सके।